Not known Details About bhairav

तत्र सर्ववायाभिप्रकाशात्मनो विन्दोनदीभवतः किञ्चिद्वाच्यत्राधान्य- शान्तवर्धचन्द्ररूपता ततोऽपि वेदकौटिल्यविगमे स्पष्टरेलरमा निरोधका मितयोगिनां नानुप्रवेशस्य इतरेषां तु भेददशावेशस्य निरोधात् तचाख्या बहुवचनमाद्यर्थं नादान्तशक्तिव्यापिनीगमनाच्या नादाला लक्षयति तम नादस्यैव शब्दव्याप्तेः शाम्यत्तायां सुसूक्ष्मध्वन्यात्मा नादान्तः प्रशान्तौ तु ह्लादात्मस्पर्शव्याप्त्युग्मेषरूपा शक्तिः, सैव देहानवच्छेदाद् व्योमव्याप्यत्यासादाद् व्यापिनी, समस्तभावाभावात्मवेद्यप्रशान्ती मननमात्रात्मककरणरूपबोधमात्रा- देशे समता इत्येतदचन्द्रादिमत्कारहस्यम् एवं मातृकामन्वतीयंत मेयलेन विमृश्य ध्येयमहामन्त्रमुखेनापि भगवद्रूपं विमृशति ‘चक्रेति’ जन्मादि- चक्रेण्वारूढं लिपिध्यानेनेव न्यस्तम्, अनकं ह-कलात्म नादमयं कि रूपम् ?

हे दुखनाशक श्री भैरवनाथ! आपके भक्त सुन्दरदास ने प्रयाग के निकट दुर्वासा में प्रेम पूर्वक…

अगर आपको पीडीऍफ़ डाउनलोड करने में कोई दिक्कत हो तो आप हमें निचे कमेंट में लिख सकतें हैं.

जिनमें सोमानन्द, भूतराज, उत्पल, लक्ष्मणगुप्त और अभिनवगुप्त का क्रम प्राप्त होता है। आचर्य की बात है कि भट्ट आनन्द ने क्षेमराज को स्मरण नहीं किया है। इससे इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है कि अभिनवगुप्त ( ९५० ई० ) और क्षेमराज (१०५० ई० ) के समय के बीच में भट्ट आनन्द किसी समय में हुए होंगे। इसीलिए वे क्षेमराज का उल्लेख नहीं कर सके हैं; और क्षेमराज आनन्दभट्ट का उल्लेख इसलिए नहीं कर सके, क्योंकि वे अपनी वृत्ति हो पूरी नहीं लिख पाए थे।



करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥

I squandered my time on Talking tree wondering it can be some Spiritual website only to comprehend Those people with absolutely nothing to supply received some Platinum, Gold and Silver medals. I am so disgusted at such advantage technique for such a web site primarily based by themselves grading.

The raga is often linked to early morning hours, and its somber and meditative characteristics have a calming and relaxing effect on listeners.

धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥



इह श्रीमान् चिभैरवः पूर्णाहंदिमशत्मपराक्तस्फुरत्ताभित्तावन्तः कृता- नन्तावान्तरदिप चपूर्वपूर्वदशनिमेषणशीन्मिषदुत्तरोतरावस्थेच्छाज्ञान- परशक्तिपूर्तः ॥ ४ ॥ क्रियाशक्तिसारानाथितसदाशिवेश्वरपदावभासनस्वरूप बीजागोप जगद व्यवस्वामिव निमिष सर्यादिवचोन्मिपदी धरादिस्फुरणया अनुग्रहनिम ज्जितमितमातृतच्छक्युन्मज्जित रुद्रयामलसमावेशमुन्मीलयति – इत्यद्वयनयेषु पचहत्यकारितयते भगवतः तत्र पश्यन्यादिपदे दोतनादित्वा संवि देवी प्रवृध्यमानतया प्रष्ट्री स्वा परर्नरवाभिन्ना पराभूमि सदा स्वाभासा- मप्यन्तर्बाह्याक्षागोचरत्वात् परोक्षामिव पश्यन्त्यादिकालापेक्षया तु भूतामिव, ततलेषज्ञतत्तत्प्राणांशांशिकापेक्ष्यकल्पावधिकदिनमासान्वयाभावाद् अयत- नीमिव यावदामामृतात् ‘गुप्त इति मेव

In the event you recite the Kaal Bhairav mantra regularly, it may bestow infinite blessings within the chanter, successful him over and granting him heavenly blessings for wealth and Moksha.

श्री भैरव जी की आरती को पीडीऍफ़ में डाउनलोड करने के लिए निचे दिए गए पीडीऍफ़ डाउनलोड click here लिंक पर क्लिक करें.

हमारे अन्य प्रकाशनों को भी अवस्य देखें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *